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भारतीय विदेश नीति के बदलते परिदृश्य

Changing Landscape of Indian Foreign Policy

Changing Landscape of Indian Foreign Policy

आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, भारत अपनी विदेश नीति को नए रणनीतिक लक्ष्यों और वैश्विक चुनौतियों के अनुरूप ढाल रहा है। यह मेरी ये ब्लॉग पोस्ट इस बदलते परिदृश्य का विश्लेषण करता है, भारत के वैश्विक संबंधों, सामरिक महत्वाकांक्षाओं और विकासशील देशों के साथ साझेदारी पर प्रकाश डालता है।

भारत के वैश्विक संबंध (India’s Global Relations)

भारत ने बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों को अपनाते हुए, दुनिया भर के देशों के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए हैं।

पड़ोसी देशों के साथ संबंध: भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संबंधों को बनाए रखने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सभी को साथ लेकर, सभी को विकसित करके, सभी का विश्वास जीतकर” के उद्देश्य से, भारत ने “पहले पड़ोस” की रणनीति अपनाई है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी को सुदृढ़ करती है

बड़ी शक्तियों के साथ संबंध: भारत अमेरिका, रूस, चीन और जापान जैसे प्रमुख देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी विकसित कर रहा है। भारत “रणनीतिक स्वायत्तता” की नीति अपनाता है, जो किसी भी महाशक्ति ब्लॉक में शामिल होने से बचता है, और सभी देशों के साथ समान और सम्मानजनक संबंध बनाए रखता है।

बहुपक्षीय मंचों में भागीदारी: भारत संयुक्त राष्ट्र, जी20, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) जैसे बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। ये मंच वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श और सहयोग के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं।

भारत की सामरिक महत्वाकांक्षाएं (India’s Strategic Ambitions)

भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है और अपनी रक्षा क्षमताओं और सामरिक प्रभाव को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

आत्मनिर्भर रक्षा: भारत “आत्मनिर्भर रक्षा” की नीति अपना रहा है, जिसका उद्देश्य रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करना है। सरकार ने “मेक इन इंडिया” पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन और अनुसंधान को बढ़ावा दिया है।

क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने “SAGAR” (सुरक्षा और विकास के लिए एक्शन प्लान) पहल शुरू की है, जो आईओआर में सुरक्षा सहयोग और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देती है।

अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा: भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सक्रिय रूप से योगदान देता है और वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे देशों में शांति स्थापना मिशनों में सैनिकों को तैनात किया है।

विकासशील देशों के साथ साझेदारी (Partnership with Developing Countries)

भारत विकासशील देशों के साथ दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

आर्थिक और तकनीकी सहयोग : (ITEC) (तकनीकी और आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम के माध्यम से, भारत विकासशील देशों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA): भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की स्थापना की। आईएसए का लक्ष्य सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और विकासशील देशों में सतत विकास को बढ़ावा देना है।

आपदा राहत: भारत प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित देशों को सहायता प्रदान करने में अग्रणी रहा है। भूकंप, बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद, भारत ने चिकित्सा सहायता, राहत सामग्री और पुनर्निर्माण प्रयासों में सहायता प्रदान की है।

चुनौतियां और भविष्य की दिशा (Challenges and Future Directions)

हालांकि भारत की विदेश नीति ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

महाशक्ति प्रतिस्पर्धा: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती महाशक्ति प्रतिस्पर्धा भारत के लिए एक चुनौती है। भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और दोनों महाशक्तियों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने के लिए सावधानी से आगे बढ़ना होगा।

आतंकवाद और सीमापार सुरक्षा: आतंकवाद और सीमापार सुरक्षा भारत के लिए प्रमुख चिंताएं हैं। भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को मजबूत करना होगा।

जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन भारत के लिए एक गंभीर खतरा है। भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना होगा।

भविष्य में, भारत को अपनी विदेश नीति को और अधिक सक्रिय और बहुपक्षीय बनाने की आवश्यकता होगी। भारत को वैश्विक मंचों पर एक मजबूत आवाज बनकर उभरना चाहिए और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत की विदेश नीति निरंतर विकास कर रही है और देश के वैश्विक महत्व को दर्शाती है। बहुपक्षवाद, रणनीतिक स्वायत्तता और विकासशील देशों के साथ साझेदारी के सिद्धांतों पर आधारित, भारत की विदेश नीति का लक्ष्य वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देना है। चुनौतियों का सामना करते हुए भी, भारत अपनी विदेश नीति के माध्यम से एक मजबूत और प्रभावशाली वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।