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5 Pure Indian Spices जिसे अंग्रेज जाते समय अपने साथ ले गए

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Introduction : Pure Indian Spices

अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 सालों तक शासन किया उस काल में इन्होंने भारत के बहुमूल्य संसाधनों और सुविधाओं को भयानक दोहन किया, जिनमे वे 5 Pure Indian Spices भी हैं , जिसे भी नहीं छोड़ा !

 यहां से लूट कर यह सारे बहुमूल्य संसाधन और साधन अपने साथ इंग्लैंड ले गए

इनके जाने के बाद हमें क्या मिला ? एक परिष्कृत छोड़ी गई विरासत जिसमें अंग्रेजी भाषा,  संचार व्यवस्था,  यातायात के साधन जैसे रेल व्यवस्था,  वास्तुकला निर्माण खासकर निर्माण कार्य उदाहरण के लिए बहुत से पुल जिसमें एक हावड़ा भी काफी महत्वपूर्ण है ।

लेकिन जाते-जाते अपने साथ उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण 5 Pure Indian Spices भी अपने साथ ले गए जिनका उपयोग अपने भोजन के स्वाद (खासकर मांस भक्षण) को बढ़ाने और उसे काफी दिनों तक संरक्षित बनाए रखने हेतु करते थे

भारी मात्रा में ले गए यह भारत के 5 Indian spices names हैं जीरा, काली मिर्च, हल्दी और धनिया पाउडर

Best Indian spices का ऐतिहासिक महत्व

पूरे विश्व में मसालों का अपना महत्व  सोने और जवाहरात की तरह रहा था| यह उसी तरह मूल्यवान थे और दुनिया की अर्थव्यवस्था को चलाने में इनका भी एक महत्वपूर्ण योगदान था |

क्योंकि उस समय रेफ्रिजरेटर या फ्रिज की व्यवस्था नहीं थी | भोजन या खाद्य सामग्री अक्सर जल्दी खराब हो जाते थे| जबकि मसालों का उपयोग करके लोग भोजन की सुगंध को और उसकी ताजगी को बनाए रखें रखते थे |

भारतीय मसाले का प्राचीनतम संस्कार और विशेष स्वाद के कारण विश्व में प्रसिद्ध हैं।

बदलती जलवायु एवं परिस्थितियां भारत को 60 से अधिक मसालों का उत्पादन करने में मदद करती है। यह तो न भोजन में कोई अतिरिक्त  कैलोरी, वसा, चीनी या नमक को अपनी तरफ से शामिल करते है, लेकिन मसाले स्वास्थ्य में फल और सब्जियों की तरह महत्वपूर्ण योगदान देते है |

ये आयुर्वेदिक औषधि के रूप में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण प्रदान करते हैं।

मसालों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के चलते आज भी कुछ साल पहले आई कोरोना महामारी COVID-19 के  कारण  भारत में मसालों की मांग पहले से ज्यादा बढ़ गई है |

Indian Cuisine Spices का विश्व-व्यापार

भारतीय इतिहास में भारतीय मसालों का इतिहास काफी पुराना है| प्राचीन तमिल साहित्य में भी  ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में लिखी पुस्तकों में ऐसे व्यंजनों का जिक्र किया गया है जिसमें काली मिर्च (Black Pepper) का इस्तेमाल होता था|

40 ईसा पूर्व में रोमन भारत के दक्षिण पश्चिमी तट से दालचीनी(cinnamon), सुगंधित तेल(aromatic oil) और काली मिर्च मसालों का व्यापार करते थे |

रोम साम्राज्य के पतन के बाद इस्लाम के संगठित गुट ने इसपर आधिपत्य कायम किया और यही केरल में इस्लाम के आने की बड़ी वजह भी बना |

मध्यकाल आते आते कई अन्य देश भी काली मिर्च के व्यापार से जुड़ चुके थे  |

Best Indian Spices का बड़ा व्यवसायिक बाजार -

काली मिर्च के लिए व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा :

10 वीं शताब्दी तक, काली मिर्च यूरोप में भी काफी चर्चित हो चुका था |

यह बात 1499 ईस्वी से जुड़ी है जब एक पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा इसी खोज में दक्षिण भारत के शहर कोझिकोड और कालीकट शहर में आया था|

 यहां उसे अपने जरूरत के हिसाब से काली मिर्च का काफी बड़ा व्यवसायिक बाजार खोज निकाला जहां इसकी कीमत पुर्तगाल में उपलब्ध काली मिर्च मसाले के मूल्य से काफी कम थी इस कारण इस कारण इस विषय में व्यवसाय में उसे काफी लाभ हुआ|

15वीं सदी के अंत तक पुर्तगालियों ने मसाला व्यापार पर राज कायम कर लिया था |

16 वी शताब्दी तक आते-आते पुर्तगाली राजनीतिक और सामाजिक अधिपत्य बनाने में चुकने की वजह से  इनकी व्यापार पर पकड़ कमजोर होनी शुरू हो गई थी।

17 वीं शताब्दी में वही  डच इस क्षेत्र के खिलाड़ी बन चुके थे |

पुर्तगालियों के बाद डच, फिर अंग्रेज, उसके बाद डैनिश और फ्रैंच व्यापारी भारत आए|

भारत से होने वाले मसालों के व्यापार पर कब्जा करने के लिए यूरोपियन लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ा था|

जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1600 में व्यापार करना शुरू किया, तो इसकी गतिविधियों का ध्यान भारत के बजाय दक्षिण पूर्व एशिया के स्पाइस द्वीप समूह पर था।

1600 के दशक के मध्य में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ जाने के और  विभिन्न युद्धओ , समुद्री डाकूओ  और कम लाभ ने बाजार की प्रतिस्पर्धा को और कठिन बना दिया था |

ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 प्लासी की लड़ाई -

जिसने भारत का इतिहास बदल कर रख दिया :-

इस दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने यह फैसला लिया कि वह मसालों के व्यापार में अधिक शक्तिशाली डच ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर  सकती। इसलिए इसके बजाय भारत से कपास और रेशम पर ध्यान दिया।

लेकिन 1757 प्लासी की लड़ाई  ने इतिहास बदल कर रख दिया इसमें रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में कंपनी की सेना ने सिराजुद्दौला के नेतृत्व में स्थानीय विरुद्ध विद्रोह का सामना किया और उसे हरा दिया

इसके बाद के वर्षों में इसने उन क्षेत्रों पर पूरी प्रशासनिक शक्तियां अपने हाथ में ले ली और अपनी सीमाओं के भीतर रहने वाले सभि व्यक्ति पर कर लगाने का अधिकार भी शामिल कर लिया

समय के साथ, ब्रिटिशर्स ने अपनी ताकत को बढ़ाते हुए, मसाला व्यापार में भी अपना आधिपत्य स्थापित किया।

गोल मिर्च (Black Peppers) को भारत का काला सोना क्यों कहा जाता है ?

दक्षिण भारतीय मसाले को रोमन समाज के लोग काफी पसंद किया करते थे और आज से 2000 साल पहले जब विश्व की सबसे शक्तिशाली रोमन साम्राज्य में जुलियस सीजर का शासन था उस समय सोने के बदले दक्षिण भारत से भारतीय मसालों का खरीद बिक्री किया जाता था | रोमन साम्राज्य के लोग सोने के बदले भारतीय मसाले खरीदा करते थे इसलिए गोल मिर्च को काला सोना कहा जाता है|

निष्कर्ष (Conclusion):

आज के समय मे indian cuisine spices का हर घर मे प्रचुर सेवन किया जाता है | आज भी भारतीय मसालों की विश्व में मांग है | ज्यादातर मसाले दक्षिण भारत में मिलते है जिसकारण इसे south indian spices भी कहा जाता है|

लेकिन आज indian spice market में पुरानी दिल्ली स्थित खड़ी बावली एशिया का नम्बर 1 थोक मसाला बाजार है । यह जगह 17 वीं शताब्दी में मुगल युग के दौरान अस्तित्व में आई। यहां करीब 4000 दुकाने हैं।